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देवराहा बाबा: भारत के ऐसे महायोगी जिनमे थी वरदान देने की शक्ति, देशों विदेशों के राष्ट्राध्यक्ष झुकाते थे सिर

Devraha Baba:यह घटना 1980 के दशक की है, जब मेरे पिता ने यमुना नदी के किनारे बाबा के दर्शन का मन बनाया। बाबा का आश्रम नदी किनारे स्थित था और उस तक पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता था। वह दिन सावन का था, और आसमान में घने बादल छाए हुए थे। उनके दर्शन के लिए लंबी कतारें लगी हुई थीं। मेरे पिता, जो हमेशा से आध्यात्मिक रुचि रखते थे, अपनी परेशानी और संघर्षों के समाधान की उम्मीद में वहां पहुंचे थे।
 
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Khas Haryana (Religious). देवराहा बाबा, भारतीय योग और आध्यात्मिकता के ऐसे अद्भुत व्यक्तित्व थे जिनके चमत्कारिक जीवन और कार्यों ने अनगिनत श्रद्धालुओं के हृदय में गहरी छाप छोड़ी है। बाबा के बारे में कहा जाता है कि वे केवल योग और तपस्या के माध्यम से सैकड़ों वर्षों तक जीवित रहे। उनका जीवन सरलता और भक्ति का आदर्श उदाहरण था। कई भक्तों ने उनकी चमत्कारी शक्तियों और दयालु स्वभाव का अनुभव किया। इस लेख मे हम एक भक्त के उनके साथ हुए एक वास्तविक अनुभव को बताने करने का प्रयास कर रहे है।

देवराहा बाबा से पहली भेंट

यह घटना 1980 के दशक की है, जब मेरे पिता ने यमुना नदी के किनारे बाबा के दर्शन का मन बनाया। बाबा का आश्रम नदी किनारे स्थित था और उस तक पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता था। वह दिन सावन का था, और आसमान में घने बादल छाए हुए थे। उनके दर्शन के लिए लंबी कतारें लगी हुई थीं। मेरे पिता, जो हमेशा से आध्यात्मिक रुचि रखते थे, अपनी परेशानी और संघर्षों के समाधान की उम्मीद में वहां पहुंचे थे।

जब हमारी बारी आई, तो मैंने देखा कि बाबा एक साधारण लकड़ी के मचान पर बैठे हुए थे। उनकी वेशभूषा बहुत ही साधारण थी। लंबी दाढ़ी, दमकता हुआ चेहरा और आंखों में एक अनोखी चमक। बाबा ने हमारी ओर देखा और बिना कुछ पूछे ही पिता के मन की बात जान ली। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम्हारी परेशानी कुछ दिनों में हल हो जाएगी। तुम बस धैर्य रखो।”

चमत्कारी शक्ति का अनुभव

बाबा की इस भविष्यवाणी ने हमें चौंका दिया। पिता से बाबा ने कुछ नहीं पूछा था, लेकिन वह जानते थे कि हमारे घर में वित्तीय कठिनाई चल रही है। आश्चर्यजनक रूप से, कुछ ही दिनों के भीतर पिता को नौकरी का अच्छा प्रस्ताव मिला। इससे न केवल हमारी आर्थिक स्थिति सुधरी, बल्कि बाबा के प्रति हमारी श्रद्धा और गहरी हो गई।

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राम मंदिर की भविष्यवाणी

बाबा ने कई साल पहले ही राम मंदिर की भविष्यवाणी कर दी थी। एक भक्त के साक्षात्कार मे बाबा ने भविष्यवाणी की थी जिसमे बाबा ने कहा था कि राम मंदिर बिना किसी रुकावट के शांतिपूर्ण ढंग से बन जाएगा। राममंदिर मे हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई फारसी सब सहयोग करेंगे। और हुआ भी यूं ही राम मंदिर निर्माण मे देशों विदेशों के सभी धर्मों के लोगों ने सहयोग किया। आज राम मंदिर अयोध्या मे बन चुका है।

महाकुंभ के बारे मे देवराहा बाबा के विचार

देवराहा बाबा के शिष्य ने बताया कि बाबा हमेशा कहते थे- महाकुंभ मे हर किसी को अवश्य ही जाना चाहिए। महाकुंभ मे देवता, मानव सभी आते हैं और अपना उद्धार करते हैं। धार्मिक और आत्मिक उन्नति के लिए महाकुंभ मे जरूर स्नान करना चाहिए। महाकुंभ मे सभी बड़ी चीज है- दान। कुम्भ मे दिल खोलकर और स्वार्थरहित दान करना चाहिए। लेकिन, दान देते वक्त स्वयं को कर्ता नहीं जानना चाहिए। देने और लेने वाला दोनों को भगवान ही समझना चाहिए।

लोकप्रियता और महानता

देवराहा बाबा के प्रति केवल आम जनता ही नहीं, बल्कि बड़े-बड़े नेता, अभिनेता और अधिकारी भी श्रद्धा रखते थे। जार्ज पंचम, इन्दिरा गांधी, राजेंद्र प्रसाद, जाकिर नाईक, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और से भी देशों विदेशों के राष्ट्राध्यक्षों ने बाबा से आशीर्वाद लिया।

बाबा का रहस्यमयी जीवन

बाबा के जीवन के कई रहस्य थे। माना जाता है कि वे 250 से 300 साल तक जीवित रहे। उनकी जन्म तिथि और स्थान का कोई निश्चित रिकॉर्ड नहीं है। बाबा के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कठोर तपस्या के माध्यम से चमत्कारी शक्तियां प्राप्त की थीं। बाबा हमेशा एक लकड़ी के चबूतरे पर रहते थे और नीचे नहीं उतरते थे। लोग इस बात को लेकर हैरान रहते थे कि वे बिना खाना और पानी लिए कैसे जीवित रहते थे।

अन्य भक्तों के अनुभव

रमेश नाम के एक व्यक्ति ने बताया कि उन्होंने बाबा से अपने बेटे की गंभीर बीमारी के इलाज के लिए प्रार्थना की थी। बाबा ने उन्हें केवल गंगाजल लाकर अपने बच्चे को पिलाने के लिए कहा। आश्चर्यजनक रूप से, उनका बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ हो गया।

विदेशी श्रद्धालुओं की कहानी

विदेशी यात्रियों और नेताओं ने भी बाबा के चमत्कार का अनुभव किया। रूस के नेता निकिता ख्रुश्चेव ने बाबा के साथ बातचीत की थी और उनकी आध्यात्मिक ज्ञान की सराहना की।

देवराहा बाबा का संदेश

बाबा का जीवन समाज को यह सिखाता है कि आध्यात्मिकता और नैतिकता के बिना मानव जीवन अधूरा है। उनका मानना था कि धर्म, मानवता और सेवा जीवन के सबसे बड़े मूल्य हैं। बाबा ने हमेशा अपने भक्तों से कहा कि वे सत्य, अहिंसा और कर्म के पथ पर चलें।

बाबा का अंतिम समय और विरासत

1989 में बाबा ने योगिनी एकादशी पर महासमाधि ली। बाबा कहते थे बच्चा मै अब इस शरीर को छोडकर सूक्षम शरीर मे रहकर भारत की सेवा करूंगा। उनके अनुयायियों ने उनकी शिक्षाओं को आगे बढ़ाया। आज भी उनका नाम सम्मान और श्रद्धा के साथ लिया जाता है। उनके जीवन से प्रेरित होकर कई आश्रम और सेवा केंद्र स्थापित किए गए हैं।

मेरे जीवन पर प्रभाव

देवराहा बाबा के दर्शन और चमत्कारिक अनुभवों ने न केवल हमारे परिवार की मुश्किलों को हल किया, बल्कि जीवन जीने का एक नया दृष्टिकोण भी दिया। उन्होंने हमें सिखाया कि हर समस्या का हल ईश्वर की शरण में होता है। उनका सादा जीवन हमें यह समझाने के लिए पर्याप्त था कि सच्ची खुशी बाहर नहीं, बल्कि हमारे अंदर है।

देवराहा बाबा न केवल एक संत थे, बल्कि एक जीवित प्रेरणा भी। उनका जीवन आज भी हमें साधारण लेकिन सार्थक जीवन जीने की प्रेरणा देता है। उनकी शिक्षाएं हमें सिखाती हैं कि सच्चा धर्म सेवा, सत्य और मानवता में निहित है। उनका आशीर्वाद और शिक्षाएं मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं, जिसे मैं हमेशा संजोकर रखूंगा।

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