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SDM Priyanka Bishnoi: पिता का सपना पूरा करने के लिए लाडली बनी अधिकारी, छोटे से ऑपरेशन ने ले ली जान

SDM Priyanka Bishnoi: पिता का सपना पूरा करने के लिए अधिकारी बनी राजस्थान की लाडली प्रियंका बिश्नोई का सफर बेहद दुखद भरा रहा है। जीवन की चुनौतियों का सामना करते हुए एसडीएम प्रियंका बिश्नोई ने अपनी मेहनत के दम पर आरएएस का पद हासिल किया। एक छोटे से ऑपेरशन के लिए अस्पताल में भर्ती हुई जहां उनको अपनी जान गवानी पड़ी। आइए जानते है कैसा रहा एसडीएम प्रियंका बिश्नोई का अधिकारी बनने का सफर

 
SDM Priyanka Bishnoi: पिता का सपना पूरा करने के लिए लाडली बनी अधिकारी, छोटे से ऑपरेशन ने ले ली जान

SDM Priyanka Bishnoi: Khas Haryana, अपने पापा की लाडली एसडीएम प्रियंका बिश्नोई का जन्म राजस्थान के बिकानेर में स्थित एक छोटे से परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम रिषपाल बिश्नोई है जोकि पेशे से वकील है। बता दें कि साल 2016 में प्रियंका बिश्नोई का चयन आरएएस (RAS) में हुआ। अपनी मीठी अवाज और ग्रामीण परिवेश के कारण एसडीएम प्रियंका बिश्नोई ने बहुत कम समय में स्थानीय लोगों के दिलों में अपनी जगह बना ली।  

जानिए प्रियंका बिश्नोई ने कैसे लिया अफर बनने का फैसला? (Priyanka Bishnoi)

शुरू से ही प्रियंका बिश्नोई पढ़ाई के मामले में बहुत अच्छी थी। उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई अपने गांव के एक छोटे से स्कूल से की। अपने इंटरव्यू में एसडीएम प्रियंका बिश्नोई ने बताया कि वह  अपने स्कूल प्रतियोगिता में एक बार उन्हें पुरस्कार जीतने का मौका मिला था। 8वीं कक्षा की प्रियंका बिश्नोई को उपखंड अधिकारी से सम्मानित होने का मौका मिला। ये अधिकारी लाल बत्ती वाली गाड़ी से आए थे। तब से प्रियंका के मन में सिविल सर्विस के ख्याल आने लगे। उन्होंने मन बना लिया था कि अफसर ही बनना है।  एसडीएम प्रियंका बिश्नोई ने बताया कि उनके इस सपने को पूरा करने में उनके पिता का उनका पूरा साथ दिया था। 

पिता का भी था अधिकारी बनने का सपना (Priyanka Bishnoi)

ग्रेजुएशन की पढ़ाई के  बाद प्रियंका बिश्नोई ने बैंकिंग की भी तैयारी की थी। इस दौरान उनका चयन हो गया था। लेकिन जाति प्रमाण-पत्र बनवाने में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। इसके बाद उनके पिता ने उन्हें SDM बनने के लिए प्रेरित किया। अंतत: वर्ष 2016 में उन्होंने RAS परीक्षा सफलता हासिल कर ली।  अपने इंटरव्यू में एसडीएम प्रियंका बिश्नोई ने बताया कि उनके पिता का भी अधिकारी बनने का सपना था। जिसके लिए एसडीएम प्रियंका बिश्नोई के पिता ने परीक्षा भी दी थी लेकिन कामयाबी नहीं मिली लेकिन जब बेटी का अधिकारी बनने का सपना पिता को पता चला तो एसडीएम प्रियंका बिश्नोई के पिता की आंखे नम हो गई। जिससे एसडीएम प्रियंका बिश्नोई को अपने लक्ष्य तक पहुंचने में काफी मदद की। 

जानिए कैसे हुई एसडीएम प्रियंका बिश्नोई की मौत?


 जोधपुर की सहायक कलक्टर प्रियंका बिश्नोई ने बुधवार की रात अहमदाबाद के निजी अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली। 5 सितंबर को वे जोधपुर के निजी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हुई थी। हालत बिगड़ने पर उन्हें अहमदाबाद रेफर किया, जहां इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। प्रियंका बिश्नोई की मौत से न सिर्फ परिवार वाले सदमे में हैं बल्कि बिश्नोई समाज समेत पूरे जोधपुर में मातम छा गया है। एसडीएम प्रियंका बिश्नोई की मौत के बाद उनका अंतिम भाषण वीडियो जिसमें उन्होंने अपनी जीवन की कहानी पर प्रकाश डाला वो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। 


एसडीएम प्रियंका बिश्नोई की कहानी उन्हीं की जुबानी

जब में आठवी कक्षा में थी तो एक प्रतियोगित में मैने तृतीय स्थान प्राप्त किया और उस दौरान मुझे उपखंड अधिकारी से सम्मानित होने का मौका मिला। जब उपखंड अधिकारी की गाडी हमारे स्कूल के प्रागन में आई तो उस गाड़ी को और उस गाड़ी के ऊपर लगी बत्ती को देखकर मेरा बाल मन सम्मोहित हो गया लेकिन जैसा की बाल मन होता है कुछ मिनटो में कुछ घंटो में जो मेरी यादे थी थोड़ी ही देर में गायब हो गई। उसके पश्चचात दसवी कक्षा में फिर से मुझे मौका मिला कि जब में जिला कलेक्टर के द्वारा सम्मानित हुई।

उस वक्त मैने तय कर लिया कि इस पद में इस पोस्ट में कुछ तो है कि इसका इतना मान और सम्मान होता है लेकिन फिर वहीं चीजे हुई कि मैं उन चीजों को भूल गई। दसवी परीक्षा के बाद जब विषय चयन का प्रशन खड़ा होता है तो उस वक्त कुछ मेरी सहेलियों ने कहा कि हम तो मैथिमेटिक्स साइंस में एडमिशन लेकर इंजीनियर की पढाई करेंगे उनकी बातें सुनकर मैं भी अपने घर गई और ऐलान कर दिया कि मुझे भी इंजीनियर बनना है।

उस समय बहुत सारे प्रश्न आए कि लड़की इंजीनियरिंग करके क्या करेगी। इंजीनियर  की पढ़ाई करवाने में लड़की का क्या फायदा है लेकिन वहां में धन्यवाद देना चाहुंगी अपने पिता को जो डाल बनकर मेरे सामने खड़े रहे और मेरे इस निर्णय का पूरा उन्होंने सम्मान किया और मेरी इंजीनियर की पढ़ाई पूरी करवाई।

परीक्षा की तैयारी करने वाले सेल्फ मोटिवेशन पर रखें ध्यान (SDM Priyanka Bishnoi )

इंजीनियर की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक बार फिर में ऐसे मोड खड़ी थी जहां से बहुत सारे रास्ते निकल रहे थे और उन रास्तों में से मुझे केवल एक रास्ते का चयन करना था। कोई खास मार्गदर्शन मेरे पास नहीं था लेकिन परिवारजनों से बातचीत करके तय किया कि बैंक की काफी भर्तियां निकली हुई है और मुझे बैंक का एग्जाम देना चाहिए। इस एग्जाम तैयारी के मोड में कास्ट सर्टिफिकेट के लिए मुझे दोबारा उपखंड अधिकारी के ऑफिस में जाने का मौका मिला।

उस दिन उनके कार्यालय के बाहर भीड़ को देखकर फिर से मुझे एक बार लगा कि इस पोस्ट के लिए में कोशिश कर सकती हूं। घर आकर मैंने दबी आवाज में कहा अपने पिता से पूछा कि उपखंड अधिकारी बनने के लिए मुझे क़्या करना होगा और उस वक्त मेरी पिता कि आंखों में जो चमक थी उस चमक ने आगे जाकर मेरे लिए मोटिवेशन का काम किया। बाद में पता चला कि मेरे पिता जी ने भी अपनी युवा अवस्था में परीक्षाओं की तैयारी की थी लेकिन वो सफल नहीं हो पाएं उसके बाद मैने तय कर लिया कि मुझे इस परीक्षा को देना है और इसमें सफल भी होना है।